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Shrimad Bhagwat Sarwani । माखन के बहाने मन चुराते हैं मनमोहन -पं.बालकृष्ण पाण्डेय

Chhattisgarh Voice/बाराद्वार:- बाराद्वार के निकटतम ग्राम सरवानी में श्री मनोज कुमार साहू के निवास स्थान पर आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन ग्राम उमरेली से पधारे पंडित श्री बालकृष्ण महाराज जी ने बड़े सुंदर ढंग से उपस्थित श्रोताओं को भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला की बहुत ही सुंदर ढंग से व्याख्यान किया पुतना संघार से लेकर के गोवर्धन पूजा तक पांचवी दिन की कथा को श्रवण कराया।

 जिसमें सर्वप्रथम पूतना के विषय में विस्तार से चर्चा किया और कहा कि पूतना अज्ञानता का प्रतीक है यह पूतना अज्ञानता का प्रतीक है और यह मनुष्य के 14 स्थानों पर विराजती है जब जीव अपने सारिक इंद्रियों को अपने में काबू नहीं रख सकता तो कहीं ना कहीं उसके शरीर पर यह पूतना अज्ञानता  के रुप मे प्राप्त हो जाती है और माखन चोरी का बड़े सुंदर ढंग से महाराजा जी ने विस्तार किया जिसमें कहा कि गोपियां केवल भगवान को याद कर करके दहीज का मंथन करती थी और माखन तैयार करती थी और गोपियों की यही माखन को भगवान चोरी कर कर के खाते थे जब हमारा मन ईश्वर के निधि को प्राप्त करता है और इस शरीर भले हमारा गृहस्थ आश्रम पर ही क्यों ना रहे और हमारा मन बिल्कुल सात्विक तौर से कृष्ण के चरणों पर लग जाए तो हमारे भी मन में कृष्ण हमेशा के लिए बस जाएंगे बिल्कुल गोपियों की भांति भागवत कथा में यह गोपियां प्रेम और भक्ति मार्ग के एक सच्चे मार्गदर्शक है गोपियों ने वेद नहीं पढ़े गोपियों के पास ना कुछ ज्ञान था कृष्ण को अंतर्मन से चाहती थी परमात्मा को अंतर्मन से प्रेम करना अपने आप में चलता फिरता यज्ञ के भाती है जिस जीव के अंदर में ईश्वरी सत्ता का वास होता है वह मनुष्य साधारण नहीं होता क्योंकि ईश्वर से प्रेम करना और उस प्रेम को समझना प्रेम को प्राप्त कर बहुत बड़ा विषय होता है की प्रेम सात्विक हो तो समझो आपने ईश्वर के स्वरुप को प्राप्त कर लिया अगर प्रेम सांसारिक हो तो आप माया को प्राप्त करोगे 5 वे दिन की कथा में वृंदावन आगमन भगवान का गोवर्धन जी की पूजा तरीके से 56 भोग दर्शन का आयोजन आयोजक परिवार द्वारा बहुत सुंदर ढंग से किया गया जो ग्राम सरवानी के पांचवें दिन की कथा में आकर्षण का केंद्र रहा अब दूरदराज से काफी लोग इस कथा को श्रवण करने के लिए पहुंच रहे हैं।

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